किसने जीती जंग या होगा 3rd World War
Armenia vs Azerbaijan clash करीब एक महीने से जारी आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान के बीच जंग विवादित जमीन Nagorno Karabakh को लेकर हुआ सैन्य संघर्ष युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं।
हालहि में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के द्वारा आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान आपसी मतभेद सुलझा कर संधिस्वरुप युद्धविराम करने की बात कही गई थी जिसमें दोनों देशो ने सहमति भी जताई थी।
पर युद्धविराम के 5 मिनट अंतराल बाद ही दोनों देशो की ओर से गोलीबारी पुनः शुरू हो गई जो इस युद्ध को और भी भड़का दिया हैं। जानकारों का मानना हैं की अगर विश्व समुदाय समय रहते इन युद्ध पर विराम नहीं लगाया तो धीरे – धीरे यह तृतीय विश्व युद्ध (3rd World War) का रूप ले लेगा जो कई देशो को इस युद्ध के चपेट में ले लेगा।
युद्ध के इस बढ़ते हुए रूप को देखते हुए पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजने शुरू हो गई हैं जिसे अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं। जिसको देखते हुए अब अमेरिका भी Armenia vs Azerbaijan clash के जारी सैन्य संघर्ष में युद्ध विराम लाने के लिए ही आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान के विदेश मंत्रीयो की बैठक अमेरिका में हुई।
जिसमें दोनों देशों के पक्षों के बीच समझौता के तहत युद्ध रोकने की बात पर सहमति बन ही गई थी। जिस पर अमेरिका के राष्ट्रपति Donald trump ने भी अपने ट्वीट के माध्यम से यह बात सबको बताई और खुशी जाहिर की।
पर दुर्भाग्यवस युद्धविराम के 5 मिनट बाद बार दोनों देशो के की ओर से सैन्य आक्रमण दुबारा शुरू हो गए अब स्थिति हाथ से बाहर निकलते देख विशषेज्ञों का मानना है की अब इस युद्ध को रोक पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा जब तक दोनों देशो में से एक देश हार न मान न ले और उचित परिणाम न निकल जाये।
किसको कितना नुकसान हुआ
दोनों देशो की दावो की करे तो इस सैन्य जंग में अब तक आर्मेनिआ को ज्यादा नुकसान उठाना पढ़ा है जिसमें उनके 7600 से अधिक जवान शहीद हो चुके है। वही 150 आम नागरिक भी जंग की चपेट में आकर अपनी जान गवां बैठे।
वही दूसरी ओर अज़रबैज़ान बात करें तो आर्मेनिया की सरकार के दावे की अनुसार अभी तक अज़रबैजान के 5000 से अधिक जवान शहीद हो चुके है वही 100 से अधिक आम नागरिको को भी अपनी जान गवानी पढ़ चुकी हैं।
जंग का कारण
जंग का कारण आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान के बीच विवादित जमीन नार्गोनो काराबाक का क्षेत्र को लेकर हैं जहाँ एक ओर अज़रबैजान नार्गोनो काराबाक के क्षेत्र को अपना होने दावा करता है। वही आज नार्गोनो काराबाक क्षेत्र में आज 90 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या आर्मेनियाई मूल के निवासी निवास करते हैं।
पर अब अज़रबैज़ान की सरकार आर्मेनियाई मूल के सभी निवास को जल्द से जल्द नार्गोनो काराबाक क्षेत्र को खाली करने की मांग कर रहीं हैं वहीं अर्मेनिया की सरकार इसका विरोध कर रही हैं।
जंग के और भड़कने के कारण
आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान के बीच जंग को भड़काने का काम तुर्की पाकिस्तान और सीरिया जैसे देशो का अज़रबैज़ान साथ आना हैं और उनको को घातक हथियार मुहैया कराना हैं। राजनितिक विशेषज्ञो की माने तो आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान के बीच जंग को और भड़कने का मुख्य कारण तुर्की, सीरिया और पाकिस्तान से भेजे जाने वाले सैन्य मदद का एक साथ आना हैं।
क्योंकि आर्मेनिया एक ईसाई बहुल मूल है और अज़रबैज़ान एक मुस्लिम बहुल मूल है जिसकी वजह से तुर्की इसे इसाई बनाम मुस्लिम जंग बना दिया है। यही वजह है की कई मुस्लिम देश भी खुल कर अज़रबैज़ान का साथ दे रहे जिसमें जिसमें तुर्की, सीरिया और पाकिस्तान प्रमुख हैं।
क्या तृतीय विश्व युद्ध होगा
कई देशो के राजनीतिक और सुरक्षा जानकारों का मानना हैं की यह युद्ध समय के साथ खतम हो जायेगा। क्योकि आर्मेनिआ और अज़रबैज़ान बीच विवादित जमीन नार्गोनो काराबाक लेकर पहले भी जंग हुई हैं जो दशको से चल रही है।
इन दोनों देशो के बीच पहले भी कई बार सैन्य युद्ध हो चूका है पर कुछ दिनों बाद यह स्वतः ही रुक जाता हैं। पर आज के परिदृश्य में देखे तो इस युद्ध में तुर्की और पाकिस्तान देशो का समर्थन देने के कारण इस Armenia vs Azerbaijan clash युद्ध को इसाई बनाम मुस्लिम युद्ध बना दिया दिया।
जो एक चिंता का विषय हैं यही वजह हैं निकट भविष्य में तृतीय विश्व युद्ध 3rd World War की आशंका को पूरी तरह नाकारा भी नहीं जा सकता हैं।