Sad Love Story In Hindi Yash Aur Sudha Ka Pyar

Sad Love Story In Hindi

Sad Love Story In Hind, Sad Story About Love In Hindi, School Sad Love Story In Hindi, दर्द भरी हिंदी प्रेम कहानियाँ! आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जिसमें एक लड़का एक लड़की से प्यार तो बहुत करता था पर उस लड़की को अपने दिल की बात आज तक नहीं कह पाया। ये उस लड़के की बेवकूफी था या प्यार के प्रति उसका भोलापन या मासूमियत यह आप ही बताइगा अंत में।

प्यार का मतलब हर किसी के लिए अलग होता हैं हर किसी का प्यार को महसूस करने का तरीका भी अलग होता हैं। पर बहुत कम लोग होते हैं जो प्यार को गहराई से महसूस करते हैं। साथ ही प्यार को लेकर बहुत दूर तक सोच पाते हैं की प्यार के लिए क्या सही होता है और गलत। क्योंकि यहा Real Love Stories की बात हो रही कोई फिल्म की नहीं जो अंत में सब अच्छा हो जाए कई बार लव का द एन्ड Sad Love Story बहुत दर्द भरा होता हैं।

Sad Love Story In Hindi

बात तब की हैं जब यश (परिवर्तित नाम) क्लास 10th में पड़ता हैं साधारण सा ज़िन्दगी था उसका दोस्त भी बस गिनती के ही थे। पर एक क्वॉलिटी था की वह पढ़ने में होशियार, बहुत समझदार, सुलझा हुआ और सोच विचार करने वाला लड़क था। वह काफी दूरदृष्टि था, टीनएज में प्यार के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक हैं यश इन सबसे दूर रहा करता था।

पर एक दिन धीरे – धीरे यश का दिल भी किसी लड़की के लिए धड़कने लगा था। शुरुवात में तो वह उस लड़की को बस चाहत भरी निगाहो से देखा करता हैं, वह उस लड़की को दिल ही दिल में पसंद करता था जिसका नाम सुधा उपाध्यय (परिवर्तित नाम) था।

सुधा चंचल स्वाभाव की थी और पढ़ने में होशियार और निडर थी वह कुछ – कुछ प्रीति ज़िंटा की तरह लगती थी। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ये यश को लगता था यही वजह था की यश हमेशा अपनी साइंस की बुक में प्रीति ज़िंटा की प्यारी सी तस्वीर रखा करता था।

स्कूल के समय तो मुझे यह लगता था की सायद प्रीति ज़िंटा उसकी पसंदीदा अभिनेत्री होगी। पर जब मुझे पता चला मेरा दोस्त सुधा को पसंद करता हैं इसलिए वह सुधा की याद में प्रीति ज़िंटा की फोटो रखता था। क्योंकि उसके पास सुधा की कोई तस्वीर नहीं थी क्योंकि 2006 में तो हम कोई सोशल मीडिया भी यूज़ नहीं करते थे।

इसलिए उस दौर में किसी लड़की की फोटो मिलना और रखना बड़ी बात था। यश को सुधा का यूँ हंसना, मुस्कुराना मस्ती करना बहुत अच्छा लगता था, क्योंकि वह खुद कभी इस तरह जी नहीं पाया था। शुरुवात के कुछ महीने बस उसे देख कर खुश रहा करता था फिर एक टीनएजर्स की तरह यश को भी सुधा से बात करने, उससे दोस्ती करने की तीव्र इच्छा होने लगा।

वह इस चाहत भरी निगाहो से सुधा को देख करता था की काश एक बार सुधा भी उसे प्यार से देखे, उससे बात करें और उससे दोस्ती करें। पर चुकी सुधा के तो कई सारे दोस्त थे और कुछ लड़के तो सुधा को पसंद भी करते थे तो यश से उसका यूँ आकर बात करना मुमकिन नहीं था। पर एक बात था की सुधा भी किसी लड़के को उस नज़र से नहीं देखती थी।

यश और सुधा आमना सामना 

एक दिन की बात है सुधा लंच ब्रेक में क्लास से बाहर निकल रही थी वह कुछ जल्दी में थी वह क्लास में बैठी अपनी सहेली से कुछ बात करते हुए जैसे ही वह क्लास से बाहर निकली उसकी ठक्कर यश से गई। सुधा ने बिना कुछ सोचे समझे यश को जोर से डांट दिया, यह कहके की अंधे हो क्या देख कर नहीं चल सकते क्या।

वह बहुत गुस्सा में थी सुधा के गुस्सा होने कारण था यश का हाथ का गलती से सुधा के छाती (ब्रेस्ट) पर टच हो गया था। बेचारा यश भी खुद को दोषी समझने लगा और वह सबके सामने सॉरी सॉरी बोलता रहा फिर सर झुका कर चला गया।

इधर सुधा की सहेली सुधा को कहती हैं इसमें उस बेचारे की कोई गलती नहीं थी तुम ही पीछे देखते हुए क्लास से बाहर निकल रही थी वो तो नार्मल आ रहा था और उसने तुम्हें रोखने की कोशिश भी किया।  ताकि तुम न टकराओ इसलिए अपने हाथो से रोकना चाहा पर गलती से उसके हाथ तुम्हारे छाती पर टच हो गये।

यश ने जानबुज कर कुछ भी नहीं किया तुम खुद ही सोचो  यश कभी यह सब जानबुज कभी कर सकता हैं। और तुमने सबके सामने उसे जोर से डांट दिया कुछ वक़्त बाद जब सुधा का गुस्सा शांत हुआ, तो वह इस बारे में सोचने लगी और उसे एहसास हुआ की उसने सच में गलती की उसे यश को नहीं डाँटना था।

इधर यश अब सुधा को देखना छोड़ चूका था यश के दिल में उस वक़्त क्या चल रहा था यह तो नहीं पता पर अब वह सुधा को नही देखता था न उसके आस पास रहना चाहता था। उसका पूरा ध्यान अब सिर्फ पढ़ाई में लगा दिया।

दूसरी तरफ वक़्त बीतने के साथ ही सुधा को भी अपनी गलती एहसास होने लगा था। वह किसी तरह यश से बात करना चाहती थी उससे सॉरी कहना चाहती थी, पर यश उस घटना के बाद से पूरी तरह बदल गया था। वह अपने कुछ दोस्तों के अलावा किसी से बात करना पसंद नहीं करता था।

क्योंकि वह आज भी यही सोचता था की जिस सुधा को वह पसंद करता था प्यार करता उसी के नज़रो में वह गिर गया। जो यश को अंदर ही अंदर बहुत परेशान कर रहा था, वक़्त ऐसे ही बीतता गया।

एक दिन ऐसे ही सुधा कुछ सहेलियों के साथ बात कर रही थी तो उसकी सहेलियों ने सुधा से पूछ ही लिया की क्या बात है आज कल तुम चुप चुप से क्यों रहती हो और पहले जैसे मस्ती भी नहीं करती हो। तो सुधा ने उस दिन अपने दिल की सारी बात बता दी की 1 महीने क्या हुआ था।

उसी बीच उनमे से एक सहेली ने बताया की तुम यश को ऐसा क्यों बोल दी, वो तो अक्सर तुम्हे चुपके – चुपके से देखा करता था। तुम्हारी तस्वीर अपनी नोट बुक में बनाता था शायद वह तुम्हे पसंद करता हैं। तभी मैं सोचु आज कल यश भी एक दम गुमसुम सा क्यों रहता हैं लगता हैं तुम्हारी डांट की वजह से उसे गहरा सदमा लगा हैं।

अब तो वह तुम्हारी तरफ देखता भी नहीं हैं, इन सब बातो को जान कर सुधा को और भी ज्यादा बुरा लगने लगा की ये उसने क्या गलती कर दी। उस दिन पहली बार सुधा की आंखे भर आयी थी अब वह पहले की तरह मस्ती करना बंद कर दी। दूसरी तरफ यश का अब एक ही मक़सद था क्लास में अव्वल आना जिसका अच्छा असर भी दिखने लगा था।

सारी टीचर उसकी तारीफ किया करते थे क्योंकि यश पढ़ाई के साथ स्वाभाव में भी बहुत समझदार और सुलझा हुआ था। दिन प्रति दिन यश  की छवि क्लास में ऊंचा होता जा रहा था। इसका असर यह हुआ की कुछ महीने पहले तक यश सुधा को देखा करता था, पर अब कुछ महीने बाद सुधा यश को देखा करने लगी।

धीरे – धीरे सुधा का यश के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा और अब सुधा यश को देखे बिना नहीं रहती। पर इन सब बातों से यश अब भी अंजान था। एक दिन सुधा की पडोसी जो की यश की सीनियर थी, उसने बताया की सुधा अक्सर तुम्हारी तारीफ करती है तुम्हारी बात करती हैं।

कुछ पल के लिए तो यश बहुत खुश हुआ पर घर जाकर जब अच्छे से विचार किया तो, उसे एहसास हुआ की उसका और सुधा का मिलन कभी हो ही नहीं सकता। अगर हो भी गया तो यश और उसके परिवार को  फिर से अपमान सहना पड़ता।

क्योंकि पहले भी ऐसा कुछ यश के साथ हो चूका था जिससे वह हमेशा डरता था की वैसा कभी दोबारा न हो। बात यह था की सुधा एक ब्राह्मण परिवार से थी और यश एक छोटी जाति का था। अगर सुधा को यश अपने दिल की बात कह देता तो इसकी सम्भावना थी की वो दोनों रिलेशनशिप में जाते।

अगर यह बात सुधा के घर वालो को या स्कूल टीचर को पता चलता तो यश ने जितना भी इज़्ज़त क्लास में कमाया था, वह सब मिटटी में मिल जाता हैं। और अगर सुधा के परिवार वालो को पता चलता तो यश को भी अपमान सहना पड़ता और शायद सुधा को उसके पैरेंट्स उस स्कूल में न पढ़ाते।

सुधा ये सब बाते कभी भी सोच नहीं सकती थी पर इन सब बातों को यश अच्छे से जनता और समझता था। यही वजह हैं की सुधा के प्यार के कई इशारों को यश न चाहते हुए भी नजरअंदाज़ कर रहा था। इधर सुधा अब यश की पहले से ज्यादा रेस्पेक्ट करने लगी थी सुधा फिर से खुश रहने लगी थी।

Sad Love Story In Hindi

एक दिन मुझे आज भी याद हैं क्लास में मैथ टीचर नहीं आयी थी तो सारा क्लास उस दिन खूब मस्ती कर रहा था। गर्ल्स अंताक्षरी खेल रही थी सामने बेंच में यश बैठा हुआ था, तब सुधा ने यश को देखते हुए गाना गया मोहब्बत की गुजारिश हो रही हैं तुझे पाने की कोशिश हो रही हैं, इसके बाद उसने गाया तुझे देख – देख सोना तुझे देख कर हैं जगना, बेपनाह प्यार हैं इस तरह और भी कई गाने।

सुधा के दिल से निकले प्यार भरी दिलकश आवाज़ सीधे यश के दिल पर जाकर लगा यश अपने चेहरे पर मंद मुस्कान लिए बस सुन रहा था यह पल यश के सबसे यादगार लम्हों में से एक था। क्योंकि जिसे वह चाहता था उसी ने उसके लिए प्यार से गाना गया था उसकी तरफ देख कर। यह किसी भी लड़के के लिए प्यार का सबसे खूबसूरत लम्हा होता हैं।

यश भी अब फिर से सुधा को देखने लगा था दोनों बीच अक्सर आँखों ही आँखों में प्यार की बात होने लगा था। इस तरह कई खूबसूरत के पल सुधा और यश ने बिना कुछ बोले ही बिताए थे।

यश का पुरे क्लास के सामने अपमान 

पर एक दिन वह हुआ जिसका यश को डर था, क्लास के किसी लड़के Ravi ने एक टीचर को जाकर बता दिया की यश और सुधा के बीच कुछ चल रहा हैं।

वह टीचर भी उसी कास्ट की थी जिस कास्ट की सुधा थी और वह नीची जाती वाले का हमेशा अपमान करती थी। जिनमे उसने कई बार यश का भी अपमान किया था, पर उस दिन तो हद हो गया। उस टीचर ने उस दिन अप्रत्यक्ष रूप से यश का और उसकी जाती का बहुत बुरे तरीके से अपमान किया, उसे बहुत ज्यादा बुरा भला कहा।

सुधा भी यह सब देख और सुन रही थी पर उसे तो इस बात कोई अंदाज़ा ही नहीं था की वह यश के लिए कह रही हैं। बेचारा वह इस दिन से हमेशा डरता था उसके साथ ऐसा फिर कभी न हो पर आखिर ये हो ही गया। वह मानसिक रूप से बहुत ज्यादा डिस्टर्ब हो चूका था वह बहुत बेचैन सा हो गया था।

उस दिन पुरे क्लास के सामने अपमान की वजह से उसे पता था यह बुरी याद उसका जीवन भर पीछा करेगा और चाह कर भी नहीं भुला पाएगा। उसका यह अपमान सुधा के प्यार पर भारी पड़ा फिर अंत में यश ने वह किया जो वह नहीं करना चाहता था। वह फैसला लें लिया की अब से पूरी ज़िन्दगी कभी भी किसी से कोई प्यार नहीं करेगा।

क्योंकि उसे पता था आज तो सिर्फ टीचर ने उसका अपमान किया था। पर यही अपनाम सुधा के घर वाले भी कर सकते हैं और यह सब यश के घर वाले के साथ भी हो सकता हैं। इसलिए यश ने फैसला किया वह 10th के बाद यह स्कूल छोड़ देगा, फाइनल एग्जाम के कुछ महीने ही बचे थे तो सुधा भी पढ़ाई में लग गई थी।

 यश और सुधा की अंतिम मुलाकात 

इधर यश भी बिना कोई भाव के क्लास में या तो बैठा रहता कोने में या पड़ता रहता। फाइनल एग्जाम भी हो गए सभी ने एग्जाम अच्छे से दिलाया यश ने अंतिम बार सुधा को मुस्कुराते हुए देखा। जब वह अकेली थी तो उसके पास जाकर कुछ बात भी किया और अंत में थैंकू भी कहा, पर सुधा समझ नहीं पाई।

तब यश ने बताया की तुमने मुझे बहुत सी खूबसूरत यादें दी हैं उसके लिये, सुधा भी मुस्कुरा कर यश से अंतिम बार हाथ मिलाया और दोनों एक दूसरे को गुड बाय कहा। सुधा यह सोच कर खुश हो रही थी की यश 11th में फिर से उसे मिलेगी और प्यार का यह सफर आगे चलेगा।

पर सिर्फ यश को ही पता था की वह अपनी सुधा से अंतिम बार मिल रहा है और उसे करीब से देख रहा हैं। यही वजह था की यश के बाय कहके जाते समय उसके आँखों में आँसू थे। इस तरह यश और सुधा का रिश्ता बनने से पहले ही टूट गया।

नेक्स्ट ईयर सुधा यश का बस इंतज़ार करते रह गई पर वह नहीं आया। कुछ साल बात जब यश ने अपने पुराने बेस्ट फ्रेंड से इस बारे में पूछा तो पता चला सुधा कई बार उससे भी तुम्हारे बारे में पूछा करती थी तुम्हारा कांटेक्ट नंबर भी माँगा करती थी। पर चुकी तुमने मना किया था तो मैंने कुछ भी नहीं बताया, सुधा बहुत उदास हो गई वह चुप चाप रहने लगी।

ज्यादा किसी से बात नहीं करती और लड़को से तो बात भी नहीं करती। वह तुझे बहुत याद करती थी फिर 11th के बाद वह भी स्कूल छोड़ दी। आज कई साल बाद भी सब कुछ पीछे छूट जाने के बाद भी यश सुधा से ही प्यार करता है पर वह आज तक अपने प्यार का इज़हार खुल कर सुधा को नहीं बता पाया।

वह हमेशा सोचता की काश वह सुधा को समझा पाता उसने ऐसा क्यों किया। इसमें कुछ बेवकूफी यश का भी था, उसे कम से कम उसे सारा सच स्कूल के समय ही बता देना था। यश को यह भी लगता थी की कही उसने सुधा को छोड़ कर गलती तो नहीं की। पर कुछ भी हो आज कई साल के बाद यश को सुधा को छोड़ने का पछतावा हर दिन होता हैं।

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