New Motivational Story In Hindi For Success

Motivational Story In Hindi For Success

New Motivational Story In Hindi For Success, Success Story In Hindi, Inspirational Stories In Hindi, Safalta Ki Kahani! यह कहानी एक ऐसे गरीब लड़के की हैं जो अपनी कड़ी मेहनत, समझदार फैसले और कभी न हार मानने वाले हौसले के कारण से एक अमीर आदमी बना। यह कहानी आपको जीवन में वो करने हौसला देगा जो आप करना चाहते हैं जैसी लाइफ आप जीना चाहते हैं।

एक गांव में अजय नाम का लड़का रहता था उसके पिताजी एक किसान थे जो दूसरे के खेतो में काम करते थे। अजय एक हिंदी माध्यम स्कूल में कक्षा 10th में पड़ता था जो पढ़ाई में बहुत औसत था न ही ज्यादा ख़राब न ज्यादा अच्छा बस पास हो जाता था।

अजय को अक्सर अपनी जरूरत की चीज़ो को लेने से पहले कई बार सोचना पड़ता था की वो उसे लें या नहीं। वह अपने बुक्स भी हमेशा सेकंड हैंड या कहे सीनियर से आधे दामों में ले लिया करता था। वह देखा करता था की उसके कुछ स्कूल के दोस्त पढ़ाई के साथ – साथ काम भी किया करते थे।

जिसकी वजह से उन दोस्तों के पास उनकी जरुरत की सारी चीज़ वो खुद खरीद सकते थे चाहें वो नई बुक्स हो या नए सुंदर कपड़े या नया स्मार्टफोन। यह सारी बातें अजय को आकर्षित करता था। एक दिन वह घर में माँ से पूछता हैं की माँ मैं भी काम करने जाऊ क्या ? घर में कुछ पैसे भी आ जायेंगे, मेरे कुछ दोस्त तो काम भी करते हैं।

New Motivational Story In Hindi इस पर माँ अजय को प्यार से समझाती हैं और कहती हैं की देखो बेटा तुम्हारी उम्र अभी सिर्फ पढ़ाई की हैं  इसलिए तुम अभी सिर्फ अपने पढ़ाई पर ध्यान दो। अगर कोई जरुरत होगी तो मुझसे कहना तुम दूसरे क्या कर रहे हैं उस पर ध्यान मत दो।

पहले तो अजय जिद किया पर अंत में मान गया। अजय अक्सर देखा करता था की उसके दोस्त मजे से नए – नए स्टाइलिश कपडे पहना करते, मोबाइल पर अक्सर बातें करते उसके 2 दोस्त की तो गर्लफ्रेंड भी थी। जिससे वह हमेसा बात करते थे यह सब देख कर अजय को भी ऐसी लाइफ जीने का बहुत मन करता था पर वह  चाह कर भी यह नहीं कर सकता था।

New Motivational Story In Hindi

वक़्त बस ऐसे ही बीतता गया एक साल हो गए अजय के पिताजी पैसे की कमी और अपने बच्चो की अच्छी परवरिश और अच्छी शिक्षा के लिए उसे नागपुर ले गए। अजय बहुत खुश था पर थोड़ा घबराया हुआ भी था क्योंकि एक छोटे से गांव से नागपुर जैसे बड़े शहर में रहना और वहा पढ़ना आसान नहीं था।

नागपुर आने के बाद अजय के पिताजी काम पे चले गए और अजय भी स्कूल आ गया वह 11th क्लास में कॉमर्स का स्टूडेंट्स था। उसका पहला दिन ठीक ठाक ही रहा वह ज्यादा किसी से बात नहीं किया वक़्त बीतने के साथ उसके दस्त बनते गए और वहा उसे अच्छा भी लगने लगा क्योंकि नागपुर गांव से बिल्कुल अलग और अच्छा था।

2 साल बाद कॉलेज में 

अजय अच्छे नम्बरो के साथ 12th पास कर लिया, अजय अब भी नागपुर में ही रहता था। क्योंकि अजय ने ही अपनी माँ से कहा था की मुझे नागपुर में ही रह कर पढ़ाई करना हैं। क्योंकि अब उसे नागपुर अच्छा लगने लगा था।

अजय पड़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब भी करने लगा, जिसकी वजह से अजय अब अपनी जरुरत की सारी चीज़े खुद लेने लगा। अजय भी वो सारे ख्वाहिशे पुरे करने लगा जो वह कभी गांव में देखा करता था। कॉलेज में अजय को एक गर्लफ्रेंड भी मिल गई जिकी वजह से उसकी ज़िन्दगी बहुत अच्छे से बीतने लगा।

पर अजय को एक बुरी आदत लग गया था की वह पैसा ज्यादा खर्च करने लगा था। वह अपने ज्यादातर पैसे अनावश्यक चीज़े खरीदने और अपने गर्लफ्रेंड पर उड़ाने लगा जो की बहुत बुरी बात था। एक दिन वह घर आया तो पता चला उसके छोटे भाई का एक्सीडेंट्स हो गया हैं और वह अब हॉस्पिटल में हैं।Best New Motivational Story In Hindi

पैसो का महत्त्व समझ आना 

अचानक हुए इस घटना का खबर सुन कर अजय को बहुत बड़ा झटका लगा वह बहुत घबराने लगा। वह नम आँखों से भाई को देखने सामने के ही एक निजी हॉस्पिटल गया जहां उसका छोटा भाई एडमिट था। उसके भाई के सर पर और पैर में गंभीर चोट लगे थे, इसलिए इलाज के लिए उसे कुछ दिन हॉस्पिटल में रहना था।

क्योंकि हॉस्पिटल निजी थे तो स्वाभाविक हैं खर्च भी ज्यादा होंगे। अजय के पिता जी ने जितने भी पैसे अपने छोटे बेटे के पढ़ाई के लिए जमा किया थे वह सारे पैसे इलाज में चले गए पर यह भी काफी नहीं था। जिसकी वजह से  अजय के पिता जी को घर के गहने बेचने पड़े।

उस दिन अजय को पहली बार पैसे की अहमियत सच मायने में समझ आया। अजय उस दिन सोचने लगा की मैंने एक साल से जितने पैसे फालतू के खर्चे में बर्बाद किया गर्लफ्रेंड मे पैसे उड़ाए अगर उसे बचा लिया होता तो आज माँ के गहने बेचने नहीं पढ़ते।

उस दिन अजय को दोहरा दुःख का सामना करना पड़ा, की वो आज तक कितना गलत कर रहा था। क्योंकि आज भी उसके परिवार की स्थिति कुछ अच्छी नहीं थी। अजय अपने माता – पिता के उदास  चेहरे और आँखों में आँशु देख कर उसके भी ऑंसू आ गए जो अजय की आत्मा को अंदर से झकज़ोर कर रख दिया।

क्योंकि वह कभी भी अपने माता – पिता को इस तरह रोते हुए और असहाय नहीं देखा था। इस घटना ने अजय को पूरी तरह बदल गया और यह सोच लिया की आज के बाद से वह सिर्फ अपने माता पिता के सपने पुरे करने और उनकी खुसी के के लिए जियेगा।

वक़्त बीतता गया और कुछ दिन बाद उसका छोटा भाई हॉस्पिटल से घर आ गया और धीरे – धीरे ठीक होने लगा। इधर अजय भी अपनी गर्लफ्रेंड को समझा दिया की उसे अब कुछ साल करियर पर फोकस करना हैं। अब वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के कंपनी में जॉब करने लगा। अब वह पहले की तरह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा था।

क्योंकि उसका सारा समय जॉब में लगने लगा। उस कंपनी में एक महीने तक तो सब ठीक था, पर एक महीने  के बाद उसे मैनेजर और बॉस की तरफ से किसी ने किसी बात पर डांट पढ़ने लगा। क्योंकि अजय सबसे छोटे पोस्ट पर था इसलिए उसे सबकी सुनना पढ़ता था।New Motivational Story In Hindi

Inspirational Story In Hindi

किसी तरह अजय उस कंपनी में 6 महीने तक काम किया उसके बाद वह जॉब छोड़ दिया। क्योंकि फाइनल एग्जाम भी आने वाले थे और वह पूरा ध्यान पढ़ने पर फोकस करने लगा। देखते ही देखते एग्जाम भी हो गया और कुछ महीने के बाद रिजल्ट भी आ गया रिजल्ट कुछ खास नहीं थे बस वह सेकंड डिवीजन से किसी तरह पास हो गया था। इस तरह अजय का ग्रेजुएशन भी पूरा हो गया।

वह आगे पढ़ना भी चाहता था और जॉब भी करना चाहता था। इसलिए वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर का जॉब करने लगा साथ भी वह Pgdca Course भी करने लगा। वह Pgdca Course इसलिए चाहता था क्योंकि वह भी एक दिन दुसरो की तरह ऑफिस वर्क करना चाहता था जिसमें भाग दौड़ न हो।

अजय सुबह स्कूल पढ़ाने जाता फिर उधर से पढ़ने कॉलेज चला जाता। इस तरह वक़्त बीतता गया और अजय का कोर्स भी पूरा हो गया, उसके बाद अजय पूरी तरह आजाद था। क्योंकि वह अब और ज्यादा न पढ़ कर जॉब करना चाहता था। अजय ऑफिस वर्क करना चाहता था पहले तो उसे जल्दी ऐसा कोई काम नहीं मिल रहा था।

पर कुछ महीने ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से उसे एक एक कंपनी में स्टोर कीपर काम मिल गया। जहा उसे सारे प्रोडक्ट का हिसाब किताब कंप्यूटर में स्टोर करके रखना होता था की कोन सा सामान जा रहा हैं और कोन सा आ रहा हैं।

कुछ साल वहां काम करने के बाद उसे एहसास हुआ की वह काम तो कर रहा पैसे भी मिल रहे हैं पर वो आज़ादी नहीं हैं जो वह चाहता था। एक दिन वह घर आकर खाना खाकर लेटे हुए सोचने लगा की क्या उसे ऐसे ही जीवन की तलाश था।

वह फैसला जो अजय की ज़िन्दगी बदल दिया 

सुबह से शाम तक काम और रात को थक कर घर आकर सो जाना ऐसे में तो वह कभी भी अपने सपने को पूरा नहीं कर पाएगा न अपनों के लिए समय निकाल पाएगा न ही वह कभी अमीर बन पाएगा। कुछ दिनों तक ऐसे ही सोचने के बाद अजय ने फैसला किया की वह खुद का बिज़नेस शुरू करेगा।

पर सवाल यह भी था की वह बिज़नेस किस चीज़ का करेगा उसे तो बिज़नेस के बारे में कुछ पता ही नहीं था। अजय कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपने बचपन के गांव चला गया वह अपने दोस्तों से मिलने और देखना चाहता था की वे अब क्या कर रहें हैं।

अजय देखता है की उसके कुछ दोस्त तो आज भी खेती कर रहे हैं कुछ ने दुकान खोल लिए हैं कुछ शहर में काम करने चले गए हैं। उनसे बात करने के बाद अजय को एक बात का एहसास हुआ की आज जो खुद का अपना कुछ कर रहे हैं वह दुसरो के यहाँ करने के अपेक्षा ज्यादा खुश थे और अच्छी लाइफ जी रहे थे।

अजय शाम को ऐसे ही पुरानी यादें ताज़े करने के बहाने बड़े तालाब की ओर चला गया। वह देखता हैं कुछ लोग वहा मछली पकड़ रहे थे, अजय भी वहा उन लोगो के पास चला गया और उन्हें गौर से देखने लगा। अजय ने वही मछली पकड़ने वाले लड़के से पूछ लिया की इतनी सारी मछली को तुम शौक के लिए पकड़ते हो या खाने के लिए।

वह जवाब देता हैं की खाने के लिए नहीं बल्कि बेचने के लिए पकड़ते हैं। तभी अजय भी पूछ लिया की दिन भर में कितना मछली पकड़ लेते हो तो वह लड़का बोला 20 से 25 किलो। क्योंकि उन लोगो का काम सिर्फ मछली पकड़ना ही होता था और उस गांव में छोटे बड़े 4 तालाब थे साथ 10 किलोमीटर दूर एक नदी भी था।

इतना सुनते ही अजय मन भी मन कैलकुलेट करने लगा, उस समय 1 किलो मछली की कीमत 90 से 100 रुपए हुआ करता था। उस हिसाब से अगर वह दिन में 20 किलो भी पकड़ता था तो 100 रुपए के हिसाब से 2000 एक दिन का बनता हैं। उस हिसाब से वह हर महीने 60000 कमा लेता था।

वही अजय हर महीने सिर्फ 15,000 ही कमाता था। उसे बड़ी हैरानी हुई और वह सोचने को मजबूर हो गया की जब ये लोग कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। उस दिन अजय ने सोच लिया की उसे फिशिंग का ही बिज़नेस शुरू करना हैं।

कुछ दिन बाद वह वापस घर आ गया और मछली पालन के बारे जानकारी लेने लगा। इधर वह अब वह पहले से ज्यादा पैसे बचत करने लगा, ताकि वह अपने गांव में खुद का कोई खेत ले सके।

जिसमें वह मछली पालन कर सके इसके लिए अजय करीब एक साल तक ज्यादा से ज्यादा पैसे बचाने की कोशिश करने लगा। एक साल बाद कुछ पैसे और अपने दोस्तों की मदद से एक एक छोटा सा खेत का टुकड़ा ले लेता हैं।  इसके बाद कुछ मछली पालन के जानकर लोगो की मदद से अपना काम शुरू कर देता हैं।

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पर सुरुवाती के 6 महीने में कुछ परेशानी का सामना करना पड़ा और उसे नुकसान उठाना पड़ा। क्योंकि वह अभी भी शहर में था एवं जॉब करता था और गांव में काम करने के लिए लोगो को काम पर रखा था। ऐसे में मजदूरो को पैसे देने और मछली का सही हिसाब किताब नहीं होने की वजह से कुछ नुकसान उसे उठाने पड़े।

फिर अजय को समझ आया की यह सब उसे खुद के रहते हुए करना होगा। अंत में अजय को एक कठिन फैसला लेना पड़ा। वह शहर और जॉब दोनों छोड़ गांव आ गया। अब वह अपने मछली पालन पर पूरा ध्यान देने लगा देखते ही देखते कुछ महीनो में उसे मुनाफा होने लगा। अजय खुश था क्योंकि पहली बार उसे दोगुना मुनाफा हुआ था।

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धीरे – धीरे अजय नए – नए तरीके सीखने लगा और उसका मछली पालन का कारोबार भी बढ़ता गया। आज अजय के पास खुद के पैसे से लिए 5 एकड़ जमीन हैं जिसमें वह मछली पालन करता और आज उसकी महीने की इनकम 3 से 5 लाख रूपए हो जाता हैं।

आज जब भी अजय मेरे साथ फुर्सत के पल में बैठता हैं तो यही कहता हैं की अगर मैं उस दिन हिम्मत करके खुद का बिज़नेस करने का फैसला नहीं लेता। तो शायद मैं आज भी वहीं 15 से 20 हज़ार वाली नौकरी करते रहता और एक बहुत ही साधारण जीवन जीता और कभी भी अपने सपने पूरा नहीं कर पाता।

आज अजय की इस सफलता पर उसके माता – पिता को उस पर गर्व महसूस होता हैं। इसके साथ ही उसके दोस्त और अजय से जुड़ने वाल हर व्यक्ति खुद को सौभाग्यशाली समझता हैं एवं अजय से प्रेरणा लेता हैं जीवन में खुद का कुछ करने का।

आज समाज में अजय का बहुत मान सम्मान हैं एक व्यापारी और एक अच्छे इंसान के रूप में। अजय भी गांव के लोगो की जरुरी सहायता करता रहता हैं। आज अजय का कारोबार भी तेज़ी से बढ़ रहा हैं और वह गांव के कई लोगो को रोजगार भी दे रहा हैं।

इस कहानी से आपने क्या सीखा 

इस कहानी Best New Motivational Story In Hindi को लिखने का एक मात्र उद्देश्य आज के युवा को जागृत करना हैं जिससे वह अपनी काबिलियत समझ सके की वह बहुत कुछ कर सकते हैं। सरकारी नौकरी के पीछे अपना पूरा जीवन बर्बाद करने और फिर सरकारी नौकरी न मिलने पर घोर निराशा में डूबने और लोगो का तना खाने से अच्छा आप खुद का कुछ करें।

बेसक खुद का करने में थोड़ा जोख़िम जरूर हैं। पर एक बात यह भी हैं अगर आप इसमें सफल होते हैं तो आपके आने वाले बच्चे को कभी नौकरी के लिए किसी दूसरे के पास जाना नहीं पड़ेगा।

आज इस रणनीति को हर गुजराती, जैन मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी एवं व्यापारी वर्ग इसे फॉलो करता हैं। यही वजह हैं ज्यादातर इनके बच्चे अपने पिता का ही व्यापार चलाते हैं या खुद का बिज़नेस करते हैं बाकि आप समझदार हो।

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